जांजगीर चांपा : नगर पालिका चांपा द्वारा पर्यावरण के फरमान को नजर अंदाज करते हुए शहर के नालियों का गंदा पानी सीधे हसदेव नदी में प्रवाहित किया जा रहा है।इसके लिए तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी की लपरवाही की वजह से पर्यावरण विभाग ने सिर्फ 9 महीने का 9 करोड़ 90 लाख रुपए की पेनाल्टी लगाई है।उस समय जिसे तत्काल जमा करते हुए नाली के पानी को नदी में प्रवाहित न करने की हिदायत दी थी,मगर तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी ने कोई ध्यान ही नहीं दिया। यह मामला कुछ वर्ष पूर्व यहां पदस्थ रहे तत्कालीन सीएमओ के समय का है।
इसके बावजूद लगातार नाली के पानी को नदी में उनके समय जारी रहा है। नगर पालिका सीएमओ सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनने के बाद इस समस्या से राहत मिलने का हवाला दे रहे है। जबकि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पिछले 4 सालों से प्रगति पर है।वहीं इसके तहत नदी किनारे बिछाई गई पाइप लाइन अपेक्षाकृत नहीं हैं। अभी से पाइप में कई जगह जाम की समस्या है। जब पूरे शहर के नालियों का पानी इस छोटे पाइप में प्रवाहित होगा तो निश्चित ही जगह-जगह जाम और पाइप फूटने की समस्या खड़ी हो जाएगी। फिर से नाली का पानी सीधे नदी में ही जाएगा।
इधर पर्यावरण विभाग नाली का पानी नदी में छोड़कर हसदेव को प्रदूषित करने के खिलाफ है। उन्होंने तीसरी बार अभी 26 नवंबर को लिखे अपने पत्र में अल्टीमेटम देते हुए नाली के पानी को फिल्टर किए बगैर सीधे नाली में छोड़ने के कारण 10 लाख रुपये प्रतिमाह की दर से 9 महीने का 9 करोड़ 90 लाख रूपए पेनाल्टी ठोका है।उन्होंने अपने पत्र में कहा है यह राशि तत्काल जमा किया जाए अन्यथा नगर पालिका के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।इसके पहले भी पर्यावरण विभाग ने वर्ष 2021 में 2 और 2022 में एक पत्र लिखकर पेनाल्टी की यह राशि जमा करने को कहा था।लेकिन नगर पालिका ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।नगर पालिका ने निर्माणधीन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का हवाला देते हुए कुछ समय मांगा था लेकिन उसके अनुसार काम पूरा नही हो सका है। दूसरी ओर लोगों का कहना है सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए जो पाइप बिछाई गई है वह काफी छोटी है जिसकी क्षमता शहर के सभी नालियों के पानी को अपने अंदर लेकर व्यवस्थित तरीके से ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुचाने की नही है। ठेकेदार तो 14 करोड़ के इस प्रोजेक्ट का काम करके निकल जायेगा तो जन प्रतिनिधि मौन क्यों हैं,और समस्या वही की वही बनी हुई है l