रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा में बुधवार को महालेखाकार (CAG) की रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट में 2016 से 2022 के बीच शहरी निकायों में हुई वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया गया। रिपोर्ट में बताया गया कि सरकार ने स्थानीय निकायों को अपेक्षा से कम बजट दिया, जिससे कई विकास कार्य प्रभावित हुए।
रिपोर्ट के मुताबिक, शहरी निकायों के कुल संसाधनों में उनके स्वयं के राजस्व का हिस्सा मात्र 15 से 19 प्रतिशत रहा। यह आंकड़ा छह वर्षों तक स्थिर बना रहा, जिससे निकायों की वित्तीय स्थिति कमजोर बनी रही।
कचरा प्रबंधन में भी गंभीर लापरवाहियाँ पाई गईं
इसके अलावा, कचरा प्रबंधन में भी गंभीर लापरवाहियाँ पाई गईं। महालेखाकार ने बताया कि स्थानीय निकायों में कचरे के संग्रहण, पृथक्करण और प्रसंस्करण के लिए आवश्यक मानव संसाधन नहीं थे। इससे स्वच्छता व्यवस्था चरमरा गई और शहरी क्षेत्रों में गंदगी की समस्या बढ़ती गई।
रिपोर्ट में सरकारी संपत्तियों के अनुचित उपयोग की ओर भी इशारा किया गया है। सरकारी संपत्तियों का सही ढंग से उपयोग नहीं होने के कारण स्थानीय निकायों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।
इस रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार पर दबाव बढ़ गया है कि वह इन कमियों को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए। शहरी विकास विभाग को इन सुधारों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी अनियमितताओं से बचा जा सके।
कॉलोनाइजरों को 1.54 करोड़ रुपये का अनुचित वित्तीय लाभ दिया गया
महालेखाकार (CAG) की रिपोर्ट ने शहरी निकायों में वित्तीय अनियमितताओं की पोल खोल दी। रिपोर्ट के मुताबिक, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए वैकल्पिक भूमि हस्तांतरण में गड़बड़ी कर कॉलोनाइजरों को 1.54 करोड़ रुपये का अनुचित वित्तीय लाभ दिया गया।
कोरबा नगर निगम में सरकारी राजस्व को नुकसान
कोरबा नगर निगम में तीन कॉलोनाइजरों से 75.77 लाख रुपये की राशि कम वसूली गई, जिससे सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचा। इसी तरह, एक ठेकेदार को प्री-स्ट्रेस्ड सीमेंट पाइप्स की आपूर्ति के लिए ऊंची दरों पर भुगतान किया गया, जिससे सरकार को 7.88 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय उठाना पड़ा।
महालेखाकार ने यह भी उजागर किया कि कई नगर निकायों में बिना किसी योजना के बुनियादी ढांचा विकसित किया गया, जिससे 369.98 लाख रुपये की राशि निष्फल हो गई।
रिपोर्ट में अंबिकापुर नगर निगम को स्वच्छता प्रबंधन के लिए सराहना मिली। नगर निगम ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2016 का पालन करते हुए सूखे और गीले कचरे का पृथक्करण किया और खाद निर्माण प्रक्रिया को अपनाया, जिससे स्वच्छता व्यवस्था में सुधार हुआ। इसे अन्य निकायों के लिए अनुकरणीय उदाहरण बताया गया।
महालेखाकार की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के 137 स्थानीय निकायों का ऑडिट किया गया, जिसमें 1613 वित्तीय आपत्तियां दर्ज की गईं। बिना योजना और आवश्यकता के 370 लाख रुपये की खरीदारी की गई।
कैग रिपोर्ट की मुख्य बातें
1. 370 लाख रुपये की अनियमित खरीदी
राज्य के कई स्थानीय निकायों ने बिना किसी योजना या वास्तविक आवश्यकता के 370 लाख रुपये की सामग्री और सेवाओं की खरीद की। यह वित्तीय कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार की ओर संकेत करता है।
2. EWS भूमि का दुरुपयोग
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए आवंटित भूमि का गलत तरीके से उपयोग किया गया। इस प्रक्रिया में एक कॉलोनाइजर को 1.54 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ मिला, जिससे यह स्पष्ट होता है कि गरीबों के लिए निर्धारित संसाधनों का दुरुपयोग हुआ।
3. कोरबा नगर निगम में अनियमित भुगतान
कोरबा नगर निगम ने एक ठेकेदार को 7.88 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया। यह वित्तीय नियमों के उल्लंघन का मामला है, जिससे सरकारी फंड का दुरुपयोग स्पष्ट होता है।
4. 1613 वित्तीय आपत्तियां दर्ज
राज्य के 137 स्थानीय निकायों के ऑडिट में 1613 वित्तीय आपत्तियां दर्ज की गईं। यह दर्शाता है कि स्थानीय निकायों में पारदर्शिता और जवाबदेही की गंभीर कमी है।
5. पंचायतों को वित्त आयोग से कम राशि मिली
2017 से 2022 तक राज्य की पंचायतों को वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित बजट से कम राशि प्रदान की गई। इससे ग्रामीण विकास योजनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
6. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में खामियां
कैग ने पाया कि राज्य में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (Solid Waste Management) को लेकर कोई प्रभावी योजना नहीं बनाई गई। अधिकांश क्षेत्रों में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) भी तैयार नहीं की गई। रायपुर के SLRM सेंटर को छोड़कर पूरे राज्य में कचरा प्रबंधन की स्थिति खराब रही।