रायगढ़ : नक्शाविहीन मसाहती गांव नटवरपुर में जमीनों का खेल बड़े पैमाने पर हुआ है। पूर्व में पीएसीएल को जमीन रजिस्ट्री करवाने के मामले में एक उप पंजीयक सस्पेंड हुआ था। इसके बाद भी यहां जमीनें हड़पने का काम चलता रहा। मां मंगला इस्पात के संचालक ने इथेनॉल प्लांट लगाने के लिए जो जमीन खरीदी, वह कोलकाता के तीन लोगों के नाम थी। सोचने वाली बात है कि कोलकाता के लोगों को नटवरपुर में कैसे जमीन मिल गई। नटवरपुर में इथेनॉल प्लांट लगाने का मामला बेहद गंभीर है। जमीन का बड़ा गोलमाल इस गांव में हुआ है। यहां मूलत: आदिवासी निवास करते हैं। धनुहार जाति के किसानों की जमीनें कौडिय़ों के मोल खरीद ली गई।
रायगढ़ ही नहीं दूसरे राज्यों के लोगों ने आकर नटवरपुर की डेमोग्राफी बदल दी। अब यहां के लोगों के पास जमीनें कम हैं। सरकार ने मसाहती गांव का सर्वे कर नक्शा बनाने का काम बंद कर दिया। चौहद्दी और नजरी नक्शे के आधार पर जमीनें बेची गईं। मां मंगला इस्पात के इथेनॉल प्लांट के लिए खसरा नंबर 230/1 रकबा 1.9230 हे., 230/3 रकबा 1.8210 हे. और 230/4 रकबा 1.9230 हे. कुल 5.665 हे. जमीन खरीदी गई। मां मंगला के डायरेक्टर शशांक गर्ग निवासी राउरकेला ने कोलकाता के तीन लोगों से यह जमीन खरीदी। खनं 230/1 की जमीन मनोज कुमार अग्रवाल पिता आरके अग्रवाल निवासी कोलकाता, खसरा नंबर 230/3 की भूमि आशालता अग्रवाल पति अशोक अग्रवाल कोलकाता और खसरा नंबर 230/4 की भूमि अंजन कुमार अग्रवाल पिता आरके अग्रवाल निवासी कोलकाता से खरीदी गई। ये रजिस्ट्रियां 2022 में हुई हैं।
अब भी कृषि भूमि
नटवरपुर के 5.667 हे. भूमि पर मां मंगला इस्पात ने 150 किलोलीटर डेली इथेनॉल उत्पादन क्षमता के लिए प्लांट का निर्माण करवाया है। असर्वेक्षित गांव में कोलकाता के तीन लोगों ने कब, कैसे और किससे जमीन खरीदी, यह जांच का विषय है। नक्शा विहीन गांव होने के कारण यहां आदिवासियों से बेहद कम दर पर जमीन खरीद ली जाती है। बाहरी लोगों ने यहां सैकड़ों एकड़ जमीन खरीद ली है। पूरा इलाका जंगल है। जमीन खरीदी के बाद अभी भी यह कृषि भूमि के रूप में ही दर्ज है। जबकि व्यावसायिक निर्माण पूरा हो चुका है।