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डेलिगेशन विवाद पर कांग्रेस ने किया कटाक्ष तो शशि थरूर ने दिया करारा जवाब, देखें क्या कहा?

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नई दिल्ली : ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान में पल रहे आतंकियों को निशाना बनाया और इस दौरान 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। इसके बाद पाकिस्तान की ओर भारत के कई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन सभी हमलों को भारत के डिफेंस सिस्टम ने नाकाम कर दिया।अब भारत सरकार ने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए सांसदों का डेलीगेशन बनाया है। इस लिस्ट में कांग्रेस सांसद शशि थरूर समेत कई विपक्षी नेताओं का नाम भी शामिल है। थरूर ने इसके लिए सरकार का आभार जताया है। उधर, प्रतिनिधि मंडल में थरूर के नाम आने पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है।

आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के लिए परियोजना के सात प्रतिनिधिमंडलों में से एक का नेतृत्व खुद शशि थरूर करेंगे। केंद्र सरकार की ओर से मिली जिम्मेदारी को लेकर थरूर ने कहा कि वह अपनी सौंपी गई जिम्मेदारियों को पूरी लगन से निभाएंगे, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी नेतृत्व को अपनी राय रखने का अधिकार है, लेकिन उनकी प्रतिबद्धता अटल है।

‘राष्ट्र के मुद्दे पर सभी को होना चाहिए एकजुट’

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि मेरी पार्टी का नेतृत्व मेरी योग्यताओं या कमियों के बारे में अपनी राय रखने का हकदार है और मुझे लगता है कि यह बात उन्हें ही स्पष्ट करनी है। इस पर मुझे कोई टिप्पणी नहीं करनी है।

उन्होंने कहा कि मुझे यह जिम्मेदारी सौंपी गई है, इस बात का मैं सम्मान करता हूं और मैं इस जिम्मेदारी को उसी तरह से पूरा करूंगा, जैसे मैंने अपने लंबे कार्यकाल में मुझे सौंपी गई हर जिम्मेदारी को पूरा किया है, चाहे वह संयुक्त राष्ट्र में हो या कांग्रेस पार्टी में।

शशि थरूर ने कहा कि इस विशेष मुद्दे सहित विभिन्न मुद्दों पर सोमवार और मंगलवार को हमारी संसदीय स्थायी समिति की बैठक है। निश्चित रूप से, मैंने पार्टी को दो दिन पहले मिले पहले फोन कॉल के बारे में बताया था। मैंने संसदीय मामलों के मंत्री से यह भी कहा कि मुझे लगता है कि वे विपक्षी दलों के पार्टी नेतृत्व से बात करेंगे और उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि वे ऐसा करेंगे। जैसा कि मैंने कहा, मुझे यह पूरी तरह से उचित लगा कि देश को इस विशेष रूप से महत्वपूर्ण मुद्दे पर एकजुट होना चाहिए।

मेरे लिए यह सम्मान की बात: थरूर

शशि थरूर ने कहा कि एक नागरिक के रूप में, संकट के समय राष्ट्र की सेवा करने के लिए बुलाया जाना हम सभी के लिए कर्तव्य का विषय है। यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि मुझे प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए कहा गया है और मैं अपनी भूमिका निभाने के लिए उत्सुक हूं। सरकार के इस दयालु निमंत्रण को स्वीकार करने में मुझे कोई हिचकिचाहट नहीं थी।

उन्होंने कहा कि मेरे विचार से, इसका दलीय राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। यह सब हमारे देश के हाल के दिनों में जो कुछ हुआ है और हमें एकजुट मोर्चा पेश करने की आवश्यकता है, उससे संबंधित है यह ऐसे समय में राष्ट्रीय एकता का एक अच्छा प्रतिबिंब है जब एकता महत्वपूर्ण है।

सरकार के फैसले पर कांग्रेस ने उठाए सवाल

उधर, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शनिवार को पार्टी द्वारा दिए गए सभी नामों को स्वीकार नहीं करने के लिए सरकार की आलोचना की और कहा कि यह सरकार की ओर से बेईमानी है। कांग्रेस नेता ने एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि हमसे नाम मांगे गए थे। हमें उम्मीद थी कि हमने जो नाम दिए हैं, वे शामिल किए जाएंगे। हमें उम्मीद थी कि पार्टी द्वारा दिए गए नाम शामिल किए जाएंगे। लेकिन जब हमने पीआईबी की प्रेस विज्ञप्ति देखी, तो हम हैरान रह गए।

उन्होंने कहा कि मैं नहीं कह सकता कि अब क्या होगा। चार नाम पूछना, चार नाम देना और एक और नाम की घोषणा करना सरकार की ओर से बेईमानी है। यह संभव है कि सरकार द्वारा मन बना लेने के बाद भी श्री रिजिजू ने राहुल जी और खड़गे से बात की हो, लेकिन मैं उन्हें संदेह का लाभ दे रहा हूं। लेकिन जो हुआ वह बेईमानी है। हम इन चार नामों को नहीं बदलने जा रहे हैं।