20 मई 2025:- हिंदू धर्म में अपरा एकादशी का सबसे अधिक महत्व है. इसे अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनुष्य को अपार पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके बड़े से बड़े पाप भी नष्ट हो जाते हैं. इस व्रत के पुण्य से ब्रह्महत्या, गोहत्या और परस्त्रीगमन जैसे घोर पापों से भी मुक्ति मिलती है. अपरा एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य संसार में प्रसिद्ध होता है और उसे धन, समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है. यह व्रत पितरों को शांति और मुक्ति दिलाने में भी सहायक माना जाता है.
अपरा एकादशी उपवास में क्या खाएं.
1.फल: सभी प्रकार के फल जैसे केला, सेब, संतरा, अंगूर, पपीता आदि का सेवन किया जा सकता है.
2.दूध और डेयरी उत्पाद: दूध, दही, छाछ और पनीर (घर का बना हुआ) का सेवन किया जा सकता है.
3.सूखे मेवे: बादाम, किशमिश, काजू, अखरोट आदि खा सकते हैं.
4.जड़ वाली सब्जियां: आलू, शकरकंद, अरबी आदि का सेवन किया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि इनमें सेंधा नमक का ही प्रयोग करें.
अपरा एकादशी व्रत कैसे पूरा करें
एकादशी व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि की शाम से ही शुरू हो जाता है. इस दिन सूर्यास्त से पहले सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की पूजा करें. भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल, धूप, दीप और फल अर्पित करें. पूरे दिन निराहार रहें या फलाहार करें. मन को शांत रखें और बुरे विचारों से दूर रहें.
भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते रहें, जैसे “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”. रात्रि में जागरण करें और भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें. द्वादशी के दिन सुबह स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें. किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराएं या दान दें. शुभ मुहूर्त में व्रत तोड़ें (पारण करें). आमतौर पर सूर्योदय के बाद निश्चित समय में पारण किया जाता है. व्रत तोड़ने के लिए सबसे पहले तुलसी दल और चरणामृत ग्रहण करें. उसके बाद सात्विक भोजन करें.