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मध्य प्रदेश के सिवनी में सर्प दंश घोटाला: सांप के काटने से 30 बार मरा शख्स, करोड़ों का गबन

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भोपाल: मध्य प्रदेश में हाल ही में चम्मच घोटाला, डामर घोटाला उसके बाद बिहार की तर्ज पर हुआ धान घोटाला सुर्खियों में था लेकिन अब सिवनी जिले के केवलारी तहसील में सांप के काटने का भी घोटाला सामने आया है।

सर्प दंश के इस घोटाले ने प्रशासनिक व्यवस्था की लापरवाही और भ्रष्टाचार की पोल खोलकर रख दी है। इस घोटाले में 47 मृत व्यक्तियों के नाम पर बार-बार फर्जी मृत्यु दावा पेश कर सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लगाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक सर्प दंश घोटाले में गबन की कुल राशि 11 करोड़ 26 लाख रुपये बताई जा रही है।

सांप के काटने से 30 बार मरा शख्स

बलपुर के वित्त विभाग के संयुक्त संचालक की टीम के द्वारा जब सिवनी जिले में सांप के काटने से मिलने वाली आर्थिक सहायता के प्रकरणों की जांच की गई तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। जांच रिपोर्ट के मुताबिक द्वारका बाई नाम की महिला को सांप ने 29 बार काटा और 29 प्रकरण बनाकर सरकारी खजाने से करोड़ों की रकम निकाली गई। इसी तरह रमेश नामक व्यक्ति को 30 बार अलग-अलग दस्तावेजों में मृत बताया गया, वह भी हर बार सांप के काटने से।

फर्जी रिकार्ड के जरिए करोड़ों का गबन

रामकुमार को भी 19 बार मरा दिखाकर 38 फर्जी रिकॉर्ड के जरिए लगभग 81 लाख रुपये गबन किए गए। इन नामों पर मृत्यु दावा और फसल क्षतिपूर्ति के आधार पर एक ही रिकॉर्ड को बार-बार संशोधित कर नए बिल तैयार किए गए और शासन की राशि को कई खातों में ट्रांसफर किया गया। यह घोटाला वर्ष 2019 से शुरू हुआ और 2022 तक जारी रहा।

मामले में पांच तहसीलदारों की भी भूमिका संदिग्ध

आरोपी सहायक ग्रेड 3 सचिन दहायत ने तहसील और जिला स्तर पर मौजूद अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से शासन के वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (IFMS) को गुमराह किया। जांच में सामने आया है कि मृत व्यक्तियों के नाम पर बिना मृत्यु प्रमाण पत्र, पुलिस वेरिफिकेशन और पीएम रिपोर्ट के भी बिल पास किए जाते रहे। इस पूरे मामले में सबसे खास बात यह है कि इस मामले में सहायक ग्रेड 3 सचिन दहायक के साथ 46 अन्य लोगों के नाम सामने आए हैं, जिनमें तत्कालीन एसडीएम अमित सिंह और पांच तहसीलदारों की भी भूमिका संदिग्ध पाई गई है।

एक ही व्यक्ति को बार बार मरा हुआ दिखाया गया

एक ही व्यक्ति को बार-बार मरा हुआ दिखाकर फर्जी बिल पास होते रहे, और तीन स्तरों पर होने वाले बिल वेरीफिकेशन के बावजूद किसी को संदेह तक नहीं हुआ। पूरे मामले में जांच अधिकारी एवं जबलपुर संभाग के कोस एवं लेखा विभाग के संयुक्त संचालक रोहित कौशल के मुताबिक जांच में साफ है कि कई बार एक ही व्यक्ति के नाम पर फर्जी मृत्यु दावा बनाकर शासन की राशि निजी खातों में डाली गई। जांच रिपोर्ट कलेक्टर सिवनी को सौंप दी गई है। आगे की कार्रवाई उनके द्वारा की जाएगी।