प्रगतिशील युवा किसान ज्ञानेश तिवारी ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट खाद में सभी आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो कि फसलों से अच्छा उत्पादन लेने के लिए जरूरी होते हैं. वर्मी कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल कर तैयार की गई उपज रासायनिक तरीके से तैयार की गई फसल के मुकाबले कहीं ज्यादा पौष्टिक होती है. इन दिनों किसान धान की फसल की रोपाई के लिए तैयारी कर रहे हैं और किसान धान की नर्सरी की बिजाई कर रहे हैं.
धान की फसल की रोपाई से पहले किसानों को मिट्टी में वर्मी कंपोस्ट या गोबर की सड़ी हुई खाद का इस्तेमाल करना चाहिए. जिससे किसान कम लागत लगाकर अच्छा उत्पादन ले सकें लेकिन वर्मी कंपोस्ट का सही तरीके से इस्तेमाल करना भी जरूरी है ताकि ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके. वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल करने से मिट्टी में मित्र कीटों की संख्या बढ़ती है. मिट्टी की जल्द धारण क्षमता में इजाफा होता है.
वर्मी कंपोस्ट डालने का सबसे अच्छा समय बुवाई या रोपाई से पहले होता है. इससे पौधों की बढ़वार के लिए आवश्यक पोषक तत्व मिल जाते हैं. वर्मी कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल शाम के समय करना चाहिए. वर्मी कंपोस्ट को खेत में बिखेर कर तुरंत खेत की जुताई कर दें. दोपहर के समय कभी भी वर्मी कंपोस्ट खाद को खेत में न डालें. धूप के संपर्क में आने से सूक्ष्म पोषक तत्व नष्ट हो सकते हैं.
खाद या वर्मी कंपोस्ट की मात्रा फसल के प्रकार, मिट्टी की उर्वरता और पौधे की वृद्धि अवस्था पर निर्भर करती है. आमतौर पर प्रति हेक्टेयर 5-10 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद या 2-3 टन वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करना चाहिए.
खेत में खाद या वर्मी कंपोस्ट को समान रूप से फैलाएं ताकि सभी पौधों को बराबर पोषक तत्व मिलें. असमान वितरण से कुछ क्षेत्रों में अधिक और कुछ में कम पोषक तत्व हो सकते हैं. फैलाने के बाद, खाद या वर्मीकंपोस्ट को हल्की जुताई करके मिट्टी में मिला दें. उसके बाद तुरंत खेत में पानी भर दें.
अगर गोबर की सड़ी हुई खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह सुनिश्चित करें कि गोबर की खाद पूरी तरह से सड़ चुकी हो. अधकच्ची खाद में खरपतवार के बीज और हानिकारक रोगजनक हो सकते हैं जो आपकी फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. यह अमोनिया जैसी गैसें भी छोड़ सकती है जो पौधों, खासकर छोटे पौधों के लिए हानिकारक होती हैं.