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दो रंगों में खिलता है ये दुर्लभ आम: स्वाद भी मस्त, कीमत ₹5000 किलो! सिर्फ दो पेड़ हैं पूरे देश में, जानिए कहां?

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आम को यूं तो फलों का राजा कहा जाता है, लेकिन एक आम ऐसा भी है जो स्वाद के साथ-साथ अपनी खूबसूरती से भी लोगों को दीवाना बना देता है। इसका नाम है ‘वेरीगेटेड आम’, जो न सिर्फ देखने में अद्भुत है, बल्कि बाज़ार में इसकी कीमत सुनकर भी लोग चौंक जाते हैं – 1000 से 5000 रुपये प्रति किलो! यह अनोखा आम उत्तराखंड के रुड़की स्थित कोएर यूनिवर्सिटी (COER University) के एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर में विकसित किया जा रहा है। सहारनपुर की सीमा से लगे इस रिसर्च सेंटर में देश-विदेश की 50 से ज्यादा दुर्लभ प्रजातियों के फलों पर शोध चल रहा है। लेकिन इन सबमें सबसे ज्यादा चर्चा में है यह दो रंगों वाला अद्भुत आम।

क्या है ‘वेरीगेटेड’ आम की खासियत?
इस आम की सबसे बड़ी खासियत इसका रंग है — यह आम हरा और पीला, दोनों रंगों का होता है। जब यह पेड़ पर लगता है, तभी से इसकी छटा मन मोह लेती है। यही कारण है कि लोग इसे खाने से पहले म्यूजियम में रखने लायक मानते हैं। यह आम केवल स्वाद में ही नहीं, सौंदर्य में भी बेमिसाल है। कोएर यूनिवर्सिटी में कृषि विभाग के विशेषज्ञ संदीप चौधरी बताते हैं कि वेरीगेटेड आम की मिठास किसी मिठाई से कम नहीं है। “यह पूरी तरह से ऑर्गेनिक है और इसकी महक से ही लोग आकर्षित हो जाते हैं। इसकी विशेष बनावट और स्वाद ही इसे खास बना रहे हैं,” उन्होंने बताया।

कीमत क्यों है इतनी ऊंची?

वेरीगेटेड आम की खेती सीमित मात्रा में हो रही है और इसकी उपलब्धता अभी बहुत कम है। बाज़ार में इसकी मांग काफी ज्यादा है और यही कारण है कि इसकी कीमत 1000 से 5000 रुपये प्रति किलो तक पहुंच रही है। फिलहाल कोएर यूनिवर्सिटी में इसके केवल दो पौधे मौजूद हैं, लेकिन रिसर्च सेंटर इसे बड़े पैमाने पर तैयार करने की दिशा में काम कर रहा है।

किसानों को भी मिलेगा फायदा

इस आम की खेती अब किसानों के लिए भी वरदान साबित हो सकती है। विश्वविद्यालय की योजना है कि आने वाले समय में वेरीगेटेड आम के पौधे किसानों को उपलब्ध कराए जाएं, ताकि वे इसकी खेती कर ज्यादा मुनाफा कमा सकें। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले वर्षों में यह आम उच्च आय वाले बागवानी उत्पादों की सूची में शामिल हो जाएगा।

कृषि क्षेत्र में नवाचार की मिसाल

कोएर यूनिवर्सिटी का रिसर्च सेंटर न केवल देशी-विदेशी फल प्रजातियों को संजो रहा है, बल्कि कृषि में नवाचार को भी बढ़ावा दे रहा है। ‘वेरीगेटेड’ आम इसका बेहतरीन उदाहरण है। यह शोध देशभर के किसानों के लिए एक नई उम्मीद की किरण बन सकता है, खासकर उन किसानों के लिए जो पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर प्रिमियम फलों की ओर रुख करना चाहते हैं।