योगी सरकार ने खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ा ऐलान किया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने किसान को अनुदान पर धान बीज देने का का फैसला किया है. राज्य सरकार अलग-अलग धान की प्रजाति पर 30 से 50 फीसदी देगी. इसके साथ ही प्रदेश सरकार की ओर से धान बीज के लिए सब्सिडी की राशि काटकर किसानों को बाकी कीमत जमा करने की सुविधा दी जा रही है.
इसी क्रम में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (तिलहन) योजना के तहत जशपुर जिले के बगीचा विकासखंड के ग्राम दुर्गापारा निवासी किसान गुरुनारायण को धान की पारंपरिक खेती के स्थान पर ग्रीष्मकालीन मूंगफली की फसल (Peanut Cultivation) लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया. कृषि विभाग द्वारा उन्हें निःशुल्क 20 किलोग्राम मूंगफली बीज प्रदान किया गया.
धान के बजाय मूंगफली की खेती शुरू की
किसान गुरुनारायण ने बताया कि उनके पास कुल 3.303 हेक्टेयर भूमि है, जिसमें वे पहले में खरीफ (Kharit) और रबी (Rabi) दोनों ही सीजन में धान की खेती (Paddy Cultivation) करते थे. उन्होंने बताया कि धान की खेती में पानी की अधिक खपत होती थी और उत्पादन भी संतोषजनक नहीं मिल पाता था, जिससे लागत अधिक और मुनाफा सीमित रह जाता था.
गुरुनारायण ने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर सलाह ली और धान के बजाय मूंगफली की खेती अपनाने का फैसला लिया. उन्होंने 0.200 हेक्टेयर में मूंगफली की फसल लगाई. विभाग द्वारा उन्हें बीज के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्व, खाद, दवाइयां और तकनीकी मार्गदर्शन भी प्रदान किया गया.
किसान ने बताया कि नियमित निगरानी और समय-समय पर प्राप्त सलाह के कारण उनकी फसल बहुत अच्छी स्थिति में है. उन्होंने यह भी कहा कि बाजार में वर्तमान मूंगफली का भाव अच्छा होने से इस फसल से उन्हें बेहतर आमदनी की उम्मीद है. इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि योजनाबद्ध प्रयासों, सही मार्गदर्शन और वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों को अपनाकर किसान गर्मी के मौसम में भी खेती से मुनाफा कमा सकते हैं और परंपरागत खेती के दायरे से बाहर निकलकर नवाचार की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं.
मूंगफली की उन्नत किस्में
यह हवा और वर्षा द्वारा भूमि को कटने से बचाती है. मूंगफली के दाने में 22-28 फीसदी, प्रोटीन 10-12 फीसदी कार्बोहाइड्रेट व 48-50 फीसदी वसा पाई जाती है. 100 सेमी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में मूंगफली की पैदावार अच्छी होती है.
बीज दर, बुवाई का समय और दूरी पर बुवाई
किसान मूंगफली के बीज का प्रयोग कम मात्रा में करते हैं जिसके कारण खेते में पौधों की संख्या कम होती है और उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. अतः यह जरूरी है कि मूंगफली की विभिन्न प्रजातियों के लिए निर्धारित मात्रा में ही बीज का प्रयोग करें. प्रजातियों की बुवाई वड निक्रोसिस बीमारी से बचने के लिए जुलाई के पहले पखवारे में करना उचित होगा.
बीज उपचार
बोने से पूर्व बीज (गिरी) को थीरम 2.0 ग्राम और 1.0 ग्राम कार्बेन्डाजिम 50% घु चू प्रति किलो बीज की दर से शोधित करना चाहिए अथवा ट्राइकोडरमा 4 ग्राम+1 ग्राम कार्बक्सिन प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करना चाहिए.