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कबाड़ में तब्दील हो रही सिटी बसें, मेंटेनेंस फंड देने के बावजूद सामने आई बड़ी लापरवाही

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रायगढ़। जिले में सिटी बस सेवा पटरी पर नहीं आ पा रही है। जानकर हैरत होगी कि जिले को मिली सिटी बसों में से 14 बसें सिर्फ इसलिए खराब हो गई क्योंकि इनका परिचालन ही नहीं हो पाया। नगर निगम ने इनके मेंटेनेंस के लिए राज्य शासन से फंड मांगा था, जिसके बाद शासन ने दो महीने पहले 80 लाख रुपए की स्वीकृति भी दी, लेकिन इसके बाद भी बसों का मेंटेनेंस अब तक नहीं हो पाया है। ऐसे में बसें पड़े पड़े कबाड़ हो रही है। इधर परिवहन विभाग जल्द बसों का परिचालन करने की बात कह रहा है।

दरअसल पिछली सरकार में प्रदेश के सभी निकायों में सिटी बसों के परिचालन की योजना बनाई गई थी। रायगढ व जांजगीर जिले के लिए भी 20 सिटी बसों की मंजूरी दी गई थी। बसों का परिचालन क्लस्टर बनाकर किया जाना था, लेकिन शुरुआती दौर से ही आपरेटरों के साथ तालमेल नहीं होने की वजह से बसों का परिचालन व्यवस्थित तरीके से नहीं हो पाया। इसके बाद कोविड के चलते बसें पूरी तरह बंद हो गई और डिपो में ही खडी रही। राज्य शासन ने जब फिर से बसों के परिचालन की प्रक्रिया शुरु की तब तक अधिकांश बसें पड़े पड़े कंडम हो चुकी थीं।

नगर निगम ने बसों के मेंटेनेंस के लिए राज्य शासन से फंड की मांग की थी। शासन की ओर से बसों के परिचालन के लिए 80 लाख रुपए स्वीकृत भी किए गए, लेकिन उसके बाद भी मेंटेनेंस की प्रक्रिया अटकी हुई हैं। 12 बसों को मेंटेनेंस के लिए बिलासपुर भेजा जाना है, लेकिन निगम ने सिर्फ 4 बसें ही भेजी। ये बसें भी बिलासपुर से नहीं आ सकी हैं। बाकी की बसें पड़े पड़े कबाड़ हो रही हैं। आलम ये है कि बसों का परिचालन पूरी तरह से ठप्प है। आपरेटरों का कहना है कि बसों के लिए जो रुट तय किये गए हैं वहां यात्री कम हैं। आपरेटरों ने रुट बदलने की मांग की थी उस पर अब तक निर्णय़ नहीं हो पाया है।

सड़कों की हालत इतनी खराब है कि यात्री भी नहीं मिल रहे। ऐसे में बसों के परिचालन में दिक्कतें आ रही हैं। आपरेटरों का कहना है कि अगर रुट में थोडा फेरबदल किया जाता है तो वे परिचालन के लिए तैयार हैं। इधऱ मामले में अधिकारियों का कहना है कि मेंटेनेंस के लिए शासन से राशि मिली है। कुछ बसों को मेंटेनेंस के लिए भेजा भी गया है। दो बसें एक दो दिन में बनकर आ जाएंगी। बसों के रुट को लेकर भी कमेटी विचार कर रही है। अगर आपरेटर विकल्प देते हैं तो इस पर चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा।