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5G के जमाने में आज भी बरकरार है डाक की उपयोगिता, 45 वर्ष बाद भी यहां के लोग हैं मूलभूत सुविधाओं से महरूम

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पखांजूर :  भले ही आज 5 जी का जमाना है, लेकिन आज भी डाक की अहमियत कम नहीं हुई है। मोबाइल फोन व इंटरनेट सहित संचार के अन्य माध्यम भले ही समाज में तेजी से पैर पसार रहे हैं,लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में डाकघरों की उपयोगिता बरकरार है। आज भी कई ऐसे जगह हैं जहां इंटरनेट अब तक पहुंच नहीं पाया है।ऐसी जगहों पर डाक ही लोगों का सहारा है। आधुनिकता के साथ-साथ कई डाकघर और उपडाकघर को आधुनिकता से लैस कर दिया गया है, लेकिन बड़गांव का उपडाकघर आज भी मूलभूत सुविधाओं और कर्मचारियों की कमी के साथ आधुनिकीकरण के अभाव से जूझ रहा है और यही कारण है कि लगभग 45 वर्ष पुराना बड़गांव का यह उपडाकघर पर आज भी रजिस्ट्री,स्पीड पोस्ट,मनी ऑर्डर जैसे तमाम सुविधाओं चालू नही हो सकी है और उपडाकघर का काम पुराने ढर्रे पर चल रहा है।

डाकघर में सिर्फ 2 कर्मचारी

मजबूरन ग्रामीणों को 15 किलोमीटर दूर कापसी अथवा 25 किलोमीटर दूर पखांजुर या दुर्गुकोंदल जाना पड़ता है। तब कहीं जाकर ग्रामीण रजिस्ट्री,स्पीड पोस्ट या अन्य महत्वपूर्ण काम कर पाते है, लेकिन एक विडम्बना यह भी है कि समय पर पहुंच गए तो ठीक अन्यथा फिर दूसरे दिन डाकघर के चक्कर लगाने पड़ते है क्योंकि दोपहर 1 बजे के बाद स्पीडपोस्ट नहीं लिया जाता। बड़गांव का यह उपडाकघर सन 1977 से प्रारंभ है, लेकिन 45 वर्ष आज भी यह मूलभूत सुविधाओं से महरूम है। इस उपडाकघर में दो कर्मचारी पदस्थ है।

इस उपडाकघर पर तीन गांव पिपली,बड़गांव और छिंदपाल के ग्रामीण निर्भर है। 45 वर्ष पुराने उक्त उपडाकघर को विभाग अब तक खुद का भवन भी नहीं दिला सका है। ग्राम पंचायत बड़गांव के यात्री प्रतिक्षालय के भवन से बड़गांव का उपडाकघर को संचालित किया जा रहा है। ग्रामीणों की मांग है कि बड़गांव के उपडाकघर में रजिस्ट्री और स्पीडपोस्ट को व्यवस्था शुरु को जाए ताकि क्षेत्र के लोगों को सुविधा हो सके और परेशानियों से न जूझना पड़े।