Home छत्तीसगढ़ महानवमी पर विशेष हवन पूजन के बाद बंद हुये मंदिरों के पट

महानवमी पर विशेष हवन पूजन के बाद बंद हुये मंदिरों के पट

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रिपोर्टर मुन्ना पांडेय,सरगुजा  : शक्ति उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन शुक्रवार को शक्ति पीठों में विशेष हवन पूजन के बाद मंदिरों के पट बंद कर दिये गये। शारदीय नवरात्र के मौके पर नगर के प्राचीन महामाया मंदिर में पंडित पुजारियों तथा उपासको ने लगातार नौ दिन तक माता के नौ रूप शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा कूष्मांडा स्कंदमाता कात्यायनी कालरात्रि महागौरी और सिद्धिदात्री के पूजा अर्चना श्रद्धा भक्ति के साथ किये। नौ रात्रि के अंतिम दिन शुक्रवार को अष्टमी एवं महानवमी के संधि समय पर संधी पूजा हुई। अतीत से चली आ रही बली प्रथा को बरकरार रखते हुए देवी मंदिर में माता भक्तो ने बकरों की बलि दी । दो तिथि होने के कारण अष्टमी और नवमी दोनों की पूजा हुई।

बाद इसके विशेष पूर्णाहुति के साथ शारदीय नवरात्र सम्पन्न हुआ। महानवमी के मौके पर उपासक माता भक्तो ने अपने घरों में कन्या भोज भी कराया। ज्वारा बोकर जगराता करने वाले देवी भक्तों ने ढोल मांदर मृदंग के स्वर लहरी में जसगीत गाते हुए नदी तालाब जलसरोवरो में ज्वारा को विसर्जित किया। नौ दिन तक पूजा अर्चना करने का सिलसिला खत्म हुआ। साथ ही देवी मंदिर के दीप कक्षों में नौ दिन तक प्रज्वलित दीप कलशों को बुझाकर विसर्जित किया गया।

चली आ रही पुरानी
परम्परा अनुसार अश्विनी शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से देवी मंदिर में स्थापित खण्ड़ा (तलवार) को गाजे बाजे के साथ पुनः राजमहल में वापिस किया गया। रियासत काल से यह रिवाज लखनपुर में चली आ रही है। शारदीय नवरात्रि के मौके पर नौ दिन तक पूजा अर्चना करने का सिलसिला खत्म हुआ। दुर्गा पंडालो में भी महा नवमी पर विशेष हवन-पूजन किये गये। नगर में एक रोज बाद यानि रविवार को विजयादशमी दशहरा पर्व मनाया जायेगा।

नवाखानी की रस्म अदा की गई
सरगुजा जिले में नवाखाने का रिवाज काफी पुरानी रही है। लोग अश्विनी मास के शुक्ल पूर्णिमा तिथि तक नवरात्रि के मौके पर नये चावल से बने भोज्य पदार्थ का सेंवन कर नवाखानी का रस्म अदा करते हैं।नये चावल से बने भोजन तथा पकवान बनाकर पूरे श्रद्धा के साथ खाते है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में नवाखानी का अपना अलग ही अंदाज होता। इस मौके पर लोग कच्ची महुआ शराब मुर्गे बकरे का भी सेवन करते हैं। साथ ही दसई (दशहरा) करमा नृत्य भी करते हैं। दुर्गा पंडालों में भक्ति गीत संगीत का जगराता जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कराया जा रहा है । हर तरफ भक्ति का माहौल बना हुआ है।