चावल एक लोकप्रिय और बहु उपयोगी अनाज है. यह लगभग हर किसी को पसंद होता है, लेकिन कभी-कभी शरीर में कुछ रोग हो जाने के कारण एक्सपर्ट चावल खाने से मना कर देते हैं. आज हम आपको एक ऐसे स्वादिष्ट चावल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी खेती करने से न केवल, किसान मालामाल बनते हैं, बल्कि इसका सेवन कर मरीज ठीक भी हो जाते हैं. बिल्कुल सही सुना आपने, इस विशेष चावल की खासियत हैरान करने वाली है. इसकी फसल पानी में भी जादू दिखाती है. बाढ़ भी इस खेती का कुछ बिगाड़ नहीं सकती है. इसे तिन्ना, तिन्नी, लाल या पसई का चावल भी कहा जाता है. विस्तार से जानिए…
मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के प्रोफेसर बृजेश सिंह ने कहा कि इस चावल की खेती किसानों के लिए काफी लाभकारी और मालामाल कर देने वाली है.
इसके एक नहीं बल्कि अनेकों औषधीय लाभ है. उन्होंने बताया कि उनका विभाग लगभग 21 सालों से लगातार पढ़ाई के साथ-साथ पौधों पर शोध कर रहा है और मिली कामयाब तकनीकी को किसान को बता रहा है.
बलिया जनपद के मशहूर गोखुर झील सुरहा ताल के काली मिट्टी पर अपने आप प्राकृतिक रूप से यह धान उग जाता है. इसे तिन्ना का चावल, तिन्नी का चावल, लाल चावल या पसई चावल आदि कई नामों से जाना जाता हैं.
इस पौधे में जैसे ही पानी भरता है वैसे ही एक तरह से कहा जाए तो यह अपना चमत्कार दिखाने दिखाने लगता है. यह पानी में डूबने के बावजूद ऊपर उठने लगता है, जिसके कारण इसका पानी यानी बाढ़ भी कुछ नहीं बिगाड़ पाता है.
इसकी खेती बाढ़ प्रभावित इलाके में बहुत होती है. लगभग 15 किलो बीज 1 एकड़ भूमि के लिए पर्याप्त है. एक एकड़ में 15 से 20 क्विंटल तक उपज मिलती है. इसका चावल और बाली दोनों लाल होते हैं.
इसकी कटाई पानी की नाव से की जा सकती है, क्योंकि अचानक पानी काफी बढ़ जाए तो यह पानी में डूबती नहीं, बल्कि पानी से भी ऊपर हो जाती है. इस कारण इसकी कटाई और बुवाई बाढ़ वाले क्षेत्र में भी काफी आसानी होती है.
इस चावल को खाने से शुगर, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल और यहां तक की कैंसर भी कंट्रोल हो जाता है. यह चावल व्रत में भी खाया जा सकता है. इसके कई लाभ हैं. इसके सेवन से कई रोग भी ठीक हो जाते हैं. यह चावल बहुत स्वादिष्ट भी होता है. यह बाजार में बहुत महंगा मिलता है, इसलिए इसकी खेती कर किसान मालामाल बन जाते हैं.