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पश्चिम बंगाल में चौतरफा घिर गईं ममता, गवर्नर की टिप्पणी ने और बढ़ाया संकट, NHRC और NCW ने भी उठा दिए सवाल

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 वक्फ कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में हुई हिंसा की घटनाओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुसीबत बढ़ा दी है। ममता बनर्जी ने अभी तक मुर्शिदाबाद और मालदा के हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा नहीं किया है जबकि उनसे पहले ही गवर्नर सीवी आनंद बोस हिंसा पीड़ितों से मिलने के लिए पहुंच गए।

ममता ने अभी उनसे भी हिंसाग्रस्त इलाकों में न जाने का अनुरोध किया था मगर गवर्नर ने ममता का यह अनुरोध ठुकरा दिया था। अब गवर्नर की रिपोर्ट पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की टीमों ने भी हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा करके पीड़ितों से उनका दुख दर्द सुना है। महिला आयोग का कहना है कि इलाके की महिलाओं और बच्चों को असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ा है और उनके साथ छेड़छाड़ भी की गई है। पश्चिम बंगाल में इस घटनाक्रम को लेकर ममता बनर्जी अब चौतरफा घिर गई हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

गवर्नर ने दिया हरसंभव मदद का आश्वासन

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अनुरोध को ठुकरा कर राज्यपाल बोस शुक्रवार को स्पेशल ट्रेन से कोलकाता से मालदा पहुंचे थे। शुक्रवार को राज्यपाल ने मालदा के शेल्टर होम में जाकर मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद पलायन करने वाले लोगों से मुलाकात की थी। उन्होंने पीड़ितों से बातचीत करके पूरे घटनाक्रम और उनकी तकलीफों के बारे में जानकारी ली थी।

शनिवार को राज्यपाल ने मुर्शिदाबाद के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। राज्यपाल मुर्शिदाबाद हिंसा में मारे गए पिता-पुत्र के घर भी गए। उन्होंने परिजनों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास के शव शमशेरगंज के जाफराबाद इलाके में स्थित उनके घर में पाए गए थे। उनके शरीर पर चाकू से वार के कई निशान मिले थे।

बीएसएफ का स्थायी कैंप बनाने की मांग

मृतकों के परिजनों और हिंसा पीड़ितों से मुलाकात के बाद गवर्नर ने कहा कि जो कुछ हुआ,वह काफी बर्बर था। लोग काफी डरे हुए हैं और ऐसा दोबारा नहीं होना चाहिए। हमें पूरे इलाके में सामान्य स्थिति बहाल करने की जरूरत है। लोगों के भीतर यह भरोसा पैदा होना चाहिए कि उन्हें सुरक्षित रखने के लिए कोई है। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए।

राज्यपाल ने बताया कि पीड़ितों की ओर से कई मांगें की गई है और उनमें सबसे प्रमुख मांग यह है कि इलाके में बीएसएफ का स्थायी कैंप बनाया जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि मैं इस मामले को सक्षम अधिकारियों के सामने उठाऊंगा। निश्चित रूप से इस मामले में ठोस कार्रवाई की जाएगी। राज्यपाल ने बाद में धुलियान बाजार इलाके में भी लोगों से बातचीत की और उनकी शिकायतें सुनीं। उन्होंने लोगों को न्याय दिलाने का भरोसा दिया।

मुर्शिदाबाद की घटना को बर्बर बताया

पीड़ितों से मुलाकात के बाद राज्यपाल ने मुर्शिदाबाद की स्थिति को अजीब,शर्मनाक और बर्बर बताया। राज्यपाल ने कहा कि मुझे हिंसा के बाद विरोधाभासी रिपोर्टें मिल रही थीं और इसलिए मैंने मुर्शिदाबाद का दौरा करने का फैसला किया। मैं यहां जो कुछ देखा है,वह काफी चौंकाने वाला था। लोगों के साथ काफी बर्बरता की गई है। राज्यपाल ने तृणमूल कांग्रेस पर इशारों में निशाना साधते हुए कहा कि लोगों का व्यवस्था से भरोसा उठता जा रहा है।

राज्यपाल ने कहा कि पहले चुनाव के दौरान हिंसा होती थी मगर अब यह पश्चिम बंगाल में आम बात हो गई है। एक वर्ग की ओर से दूसरे पर ताकत थोपने की कोशिश की जा रही है। स्थानीय लोगों ने अपनी सुरक्षा के लिए कई मांगे रखी हैं। मैं अपनी रिपोर्ट केंद्र और राज्य सरकार के साथ साझा करूंगा। फिलहाल इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।

राज्यपाल के दौरे से ममता को क्या खतरा

राज्यपाल ने कहा है कि हिंसा ग्रस्त इलाकों का दौरा करने और पीड़ितों से मुलाकात करने के बाद वे केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। सवाल यह है कि मुख्य क्या मुर्शिदाबाद हिंसा का कोई ऐसा सच है जिसे ममता बनर्जी छिपा रही हैं और इसीलिए उन्होंने राज्यपाल से दौरा न करने की अपील की थी?

राज्यपाल के दौरे से आखिरकार ममता बनर्जी को क्या खतरा महसूस हो रहा है? क्या राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार की ओर से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का बड़ा फैसला लिया जा सकता है? सियासी हलकों में इन सवालों को लेकर खूब चर्चा हो रही है क्योंकि भाजपा की ओर से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग को लेकर दबाव बढ़ा दिया गया है।

महिलाओं और बच्चों को देखकर टीम स्तब्ध

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजय रहाटकर की अगुवाई में महिला आयोग की टीम ने भी उस शिविर का दौरा किया जहां पीड़ितों ने शरण ले रखी है। परलालपुर हाईस्कूल स्थित राहत शिविर में पीड़ितों से बातचीत करने के बाद रहाटकर ने कहा कि मैं यहां महिलाओं और बच्चों की स्थिति देखकर स्तब्ध हूं। उन्हें जबरन घरों से निकाल दिया गया और उन्होंने असहनीय पीड़ा झेली है।

आयोग की सदस्य अर्चना मजूमदार ने यहां तक कहा कि महिलाओं को जबरन घरों से बेघर कर दिया गया और उनके साथ छेड़छाड़ की गई है। महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने सवाल किया कि क्या पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार दूसरा बांग्लादेश बनाना चाहती है?

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने भी हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा करके पीड़ितों से बातचीत की है। आयोग के सदस्यों ने हिंसा के पूरे घटनाक्रम के बारे में पीड़ितों से जानकारी जुटाई।

गवर्नर पर बीजेपी एजेंट की तरह काम करने का आरोप

हिंसाग्रस्त इलाकों में राज्यपाल के दौरे पर तृणमूल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। टीएमसी के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि भाजपा की ओर से 2019 से ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की जा रही है मगर हम इस मांग को कोई महत्व नहीं देते। उन्होंने कहा कि मुर्शिदाबाद की स्थिति जरूर खराब थी मगर अब हालात पूरी तरह नियंत्रण में आ चुके हैं। इलाके में पूरी तरह शांति बहाल हो चुकी है मगर भाजपा राजनीति करने में जुटी हुई है।

भाजपा की ओर से हिंसा को लेकर राजनीति करने का एकमात्र मकसद यही है कि पार्टी किसी भी तरह 2026 का विधानसभा चुनाव जीतना चाहती है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को घेरते हुए उन्होंने कहा कि वे भाजपा के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। उनका आचरण बिल्कुल भाजपा के प्रवक्ता की तरह दिख रहा है। उनके काम करने के तरीके से साबित हो गया है कि वे अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं।