बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी ने रोहिंग्याओं के लिए अलग मुल्क बनाने की मांग की है. उसने चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के सामने प्रस्ताव रखा और कहा कि सिर्फ खाना, कपड़ा और शरण देना काफी नहीं है.
रोहिंग्या बहुत अमानवीय जीवन जी रहे हैं इसलिए उन्हें उनकी धरती म्यांमार वापास भेजा जाए और उनके लिए स्वतंत्र अराकान बनाया जाए.
ढाका के सिटी होटल में जमात-ए-इस्लामी के नेता सैयद अब्दुल्ला मोहम्मद ताहिर ने चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के सामने यह प्रस्ताव रखा है. चीन की पार्टी के दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया मामलों के प्रभारी पेंग शिउबिन के नेतृत्व में तीन सदस्यीय दल बांग्लादेश पहुंचा. सैयद अब्दुल्ला ताहिर ने मुलाकात के बाद पत्रकारों से कहा, ‘बांग्लादेश में 11 से 12 लाख रोहिंग्या हैं, जो अमानवीय हालातों में जिंदगी गुजार रहे हैं. उनको सिर्फ खाना, कपड़ा या शेल्टर दे देना समाधान नहीं है. इसका हल ये है कि उन्हें उनके देश वापस भेजा जाए और फिर से बसाया जाए. इस वजह से हमने रोहिंग्या बहुल इलाके अराकान में एक स्वतंत्र अराकान देश बनाने का प्रस्ताव दिया है.’
सैयद अब्दुल्ला ताहिर ने कहा कि इस मामले में चीन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है क्योंकि उसके म्यांमांर के साथ अच्छे रिश्ते हैं. उन्होंने कहा कि ये प्रस्ताव इसलिए दिया गया ताकि कोई एक-दूसरे के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया न रखे. उन्होंने बताया कि बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर भी चर्चा हुई.
सैयद अब्दुल्ला ताहिर ने कहा कि ये पार्टी टू पार्टी मीटिंग थी और जमात-ए-इस्लामी के लिए सीसीपी के साथ रिश्तों को मजबूत करने का एक मौका था. जमात-ए-इस्लामी ने तीस्ता बैराज, सेकेंड पद्म रिवर ब्रिज और डीप सी बंदरगाह के निर्माण में निवेश के लिए भी चीन की पार्टी से बात की. उन्होंने बांग्लादेश छात्रों के लिए बड़े स्तर पर स्कॉलरशिप मुहैया करवाने का भीअनुरोध किया है.
सैयद अब्दुल्ला ताहिर ने कहा कि चीनी प्रतिनिधि बांग्लादेश चुनाव के बारे में भी जानना चाहते थे कि कब और कैसे चुनाव होंगे. उन्होंने कहा कि बीजिंग किसी भी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता है और यही नीति उसकी बांग्लादेश के लिए भी है.