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किसान धान की करें सीधी बुवाई… 35% पानी की होगी बचत, बंपर उपज के साथ बढ़ेगी आय

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धान भारत के कई राज्यों की प्रमुख फसल है, अब एक नए और आधुनिक तरीके से की जा सकती है. पारंपरिक धान की खेती में पानी की अत्यधिक खपत होती है, लेकिन वैज्ञानिकों ने किसानों को धान की सीधी बुवाई तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है. यह तकनीक न केवल लागत को कम करती है बल्कि बेहतर पैदावार भी देती है. अनुमान है कि इस विधि से किसान प्रति एकड़ लगभग 15,000 रुपए की अतिरिक्त आय भी ले सकते हैं. पंजाब सरकार तो सीधी बुवाई करने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि भी दे रही है, क्योंकि इससे प्रति एकड़ 5 से 5 क्विंटल तक अधिक उपज मिलती है.

कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि एक्सपर्ट डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि किसान अभी भी पुराने तरीके से धान की खेती करते हैं, जिसमें बहुत अधिक पानी लगता है. रोपाई में ही लगभग 5,000 रुपये प्रति एकड़ की मजदूरी लग जाती है.

इसके विपरीत, सीधी बुवाई की वैज्ञानिक विधि से 30 से 35 प्रतिशत पानी की बचत होती है. इतना ही नहीं, पारंपरिक खेती की तुलना में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी 30 से 35 प्रतिशत तक कम होता है, जिससे पर्यावरण की सुरक्षा में मदद मिलती है.

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सीधी बुवाई से किसानों को लगभग 5 क्विंटल अधिक उपज मिलती है, जिससे उनकी आय में लगभग 10,000 रुपए की वृद्धि हो सकती है. धान की सीधी बुवाई का सही समय मानसून से पहले 25 मई से 10 जून तक होता है.

गेहूं की कटाई के बाद, खेत को अच्छी तरह से जोतकर समतल करें. फिर खेत में पानी भरकर ‘पलेवा’ करें और पर्याप्त नमी होने पर दोबारा जुताई करके खेत को तैयार कर लें.

तैयार खेत में डीएसआर (डायरेक्ट सीडेड राइस) मशीन से धान की बुवाई करें. सीधी बुवाई के लिए प्रति एकड़ 8 से 10 किलोग्राम बीज का उपयोग करें.

ध्यान रहे कि पंक्तियों के बीच की दूरी 9 इंच और बीज की गहराई 1.5 से 2 इंच तक होनी चाहिए. एक ट्रैक्टर और दो मजदूरों की सहायता से एक दिन में 5 से 7 एकड़ तक की बुवाई की जा सकती है.

धान की सीधी बुवाई के बाद, खेत में पानी भरने पर धान के साथ-साथ कई खरपतवार भी उग आते हैं, जो फसल के लिए हानिकारक होते हैं. इसलिए, बुवाई के समय ही खरपतवार प्रबंधन करना बहुत महत्वपूर्ण है.

बुवाई के तुरंत बाद, प्रति एकड़ 1200 से 1500 मिलीलीटर पेंडिमैथलीन दवा को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इससे खेत में खरपतवार नहीं उगेंगे.

अगर किसानों के पास डीएसआर मशीन उपलब्ध नहीं है, तो किसान तर-बतर विधि से भी धान की सीधी बुवाई कर सकते हैं. इसके लिए खेत को जोतकर समतल करें और फिर पानी भरकर धान के बीज का छिड़काव कर दें.

पहला पानी बुवाई के 20 से 22 दिन बाद लगाएं. खरपतवार नियंत्रण के लिए, प्रति एकड़ 80 से 100 मिलीलीटर नॉमिनी गोल्ड को 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. इससे धान की फसल में उगने वाले खरपतवार नष्ट हो जाएंगे.