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इन मंगलकारी संयोग में मनाई जा रही है बुद्ध पूर्णिमा, पंचांग से जानें मुहूर्त

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आज यानी 12 मई को बुद्ध पूर्णिमा है। यह पर्व हर साल वैशाख पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और भगवान बुद्ध की पूजा की जा रही है। साथ ही साधक भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए जप-तप और दान-पुण्य कर रहे हैं।

वैशाख पूर्णिमा पर कई शुभ (Today Puja Time) संयोग बन रहे हैं। ऐसे में आइए एस्ट्रोपत्री डॉटकॉम के पंडित आनंद सागर पाठक से जानते हैं आज का (Aaj ka Panchang 12 May 2025) पंचांग।

आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 12 May 2025)

  1. तिथि : पूर्णिमा रात 10:25 बजे तक
  2. योग : वरीयान, पूर्ण रात्रि
  3. करण: विष्टि प्रातः 09:14 तक, बावा रात्रि 10:25 तक
  4. बव 09 मई को देर रात 01:41 बजे तक,

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

  1. सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 32 मिनट पर
  2. सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 03 मिनट पर
  3. चंद्रोदय – शाम 06 बजकर 57 मिनट पर
  4. चन्द्रास्त – 13 मई को सुबह (पूर्वाह्न) 05 बजकर 31 मिनट पर
वार – सोमवारशुभ समय (Today Shubh Muhurat)

  1. ब्रह्म मुहूर्त – प्रातः 04 बजकर 08 मिनट से 04 बजकर 50 मिनट तक
  2. अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक
  3. गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 02 मिनट से शाम 07 बजकर 23 मिनट तक
  4. निशिता मुहूर्त – रात 11 बजकर 56 मिनट से रात 12 बजकर 38 मिनट तक

अशुभ समय

  1. गुलिक काल: दोपहर 01:59 से दोपहर 03:40 बजे तक
  2. यमगंडा: सुबह 10:36 से दोपहर 12:18 बजे तक
  3. राहु काल: सुबह 07:14 से सुबह 08:55 बजे तक

आज का नक्षत्र

  1. आज चंद्रदेव विशाखा नक्षत्र में रहेंगे।
  2. विशाखा नक्षत्र – सुबह 06:18 बजे से 13 मई 09:09 बजे तक
  3. सामान्य विशेषताएँ: चतुर, बुद्धिमान, सम्मान करने वाला, उद्यमी, कुशल, साहसी
  4. प्रतीक: एक बड़ा पेड़ (जिसकी शाखाएं सबको सुरक्षा देती हैं)।
  5. पशु प्रतीक: नर बाघ
  6. स्वामी ग्रह: बृहस्पति
  7. स्वभाव: राक्षस (दानव)
  8. अधिष्ठाता देवता: इंद्राग्नि (अग्नि और बिजली के देवता)

आज का पर्व या व्रत

हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह पावन तिथि 12 मई को है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, जिन्हें भगवान विष्णु का नौंवां अवतार भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी शुभ तिथि पर भगवान बुद्ध को बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और आगे चलकर इसी दिन उन्होंने महापरिनिर्वाण (यह शब्द बौद्ध धर्म में मृत्यु के बाद की स्थिति को दर्शाता है) भी प्राप्त किया था।
इस कारण से यह दिन बौद्ध अनुयायियों के लिए अत्यंत श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। विशेष बात यह भी है कि यह पर्व केवल बौद्ध धर्म ही नहीं, बल्कि सनातन परंपरा के लोग भी बड़ी श्रद्धा से मनाते हैं। यह दिन हमें सत्य, करुणा और आत्मज्ञान के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।बुद्ध पूर्णिमा की पूजा विधि-

  1. इस पावन दिन की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में उठकर करें।
  2. स्नान एवं ध्यान के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करें और सबसे पहले सूर्य देव को जल अर्पित करें।
  3. इसके पश्चात भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें। उन्हें पीले फूल, पीले फल और तुलसी अर्पित करें।
  4. इस दिन पूर्णिमा व्रत कथा का पाठ अवश्य करें।
  5. पूरे दिन उपवास का पालन करें और शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत का पारण करें।
  6. साथ ही पीपल वृक्ष की पूजा जरूर करें, क्योंकि यही वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध को आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई थी।