20 मई 2025:- जम्मू-कश्मीर में पहलगाम अटैक के बाद एक नई टेंशन सामने आई है. इस टेंशन ने दिल्ली तक हलचल मचा दी है. दरअसल, जम्मू-कश्मीर में एक चिंताजनक ट्रेंड देखने को मिल रहा है. कम से कम तीन आतंकवादी घटनाओं में आतंकी भारतीय सुरक्षा बलों जैसी वर्दी में दिखाई दिए हैं. इससे आम लोगों और सुरक्षाकर्मियों दोनों के लिए खतरे की पहचान करना मुश्किल हो गया है.
इन हमलों में सबसे भयावाह 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ था. पहलगाम में आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट के भारी हथियारों से लैस आतंकियों ने बैसरन घाटी में पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई थीं. इस अटैक के वक्त भी आतंकी इंडियन आर्मी के जवानों जैसी ही वर्दी में थे. भारतीय सुरक्षा बलों जैसी वर्दी पहने पाकिस्तानी आतंकियों ने 26 टूरिस्टों की जान ले ली थी. इनमें एक नेपाली नागरिक भी था. पहलगाम अटैक 26/11 के मुंबई हमलों के बाद से भारत में सबसे घातक आतंकी हमला माना जा रहा है.
10 मई को भी दिखा सबूत:- 10 मई को ऑपरेशन सिंदूर से भारत पाकिस्तान से निपट रहा था, उसी दौरान जम्मू में नगोटरा मिलिट्री स्टेशन पर तैनात एक सतर्क संतरी ने घुसपैठ की एक और कोशिश को नाकाम कर दिया. घुसपैठिए ने संभवत: सैन्य वर्दी पहनी हुई थी और वह सुरक्षा घेरे को तोड़ने की कोशिश कर रहा था, लेकिन गोलियों की बौछार में उसे पीछे हटना पड़ा. गोलीबारी में संतरी को मामूली चोटें आई हैं. संदिग्ध को ट्रैक करने के लिए तलाशी अभियान शुरू किया गया है. सेना की व्हाइट नाइट कॉर्प्स ने बताया कि जवानों की सतर्कता और त्वरित एक्शन से एक बड़ी वारदात टल गई.
क्यों है चिंता वाली बात:- आतंकवादी जिस तरह से सुरक्षाबलों की वर्दी जैसा पहनावा पहन रहे हैं, यह एक बड़ी सुरक्षा चिंता बन गया है. अधिकारियों को डर है कि इससे खतरनाक भ्रम पैदा हो सकता है. खासकर तेजी से चल रहे अभियानों के दौरान या फिर जब आम लोगों को दोस्त और दुश्मन के बीच फर्क करना हो.
दिल्ली में भी हलचल:- एक सीनियर अधिकारी ने कहा, ‘यह रणनीति न केवल खतरनाक है, बल्कि बहुत ही भ्रामक है. यह आम लोगों और वर्दीधारी सुरक्षा बलों के बीच विश्वास को कम करने का एक सीधा प्रयास है.’ अधिकारियों का कहना है कि इस मामले पर दिल्ली में एक हाई लेवल बैठक में भी चर्चा की गई. इस बैठक में भारत के कई टॉर अफसर मौजूद थे. सुरक्षा एजेंसियां अब इस बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए एसओपी यानी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर की समीक्षा कर रही हैं, खास तौर से चौकियों और पर्यटन क्षेत्रों में.