छत्तीसगढ़ के जंगलों में 10,348 एकड़ से अधिक वन भूमि पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया है। कुछ जगहों पर लोग मकान बना रहे हैं, तो कहीं खेती की जा रही है। वन विभाग ने अब इन कब्जों को हटाने के लिए कड़ा रुख अपनाया है और प्रशासन के सहयोग से कार्रवाई शुरू कर दी है।
2997 मामले लंबित, सरगुजा में सबसे ज्यादा शिकायतें
जनवरी 2025 तक वन भूमि पर अवैध कब्जे की 2997 शिकायतें लंबित हैं। सबसे अधिक मामले सरगुजा वन मंडल (393), दक्षिण कोंडागांव (297), कवर्धा (232), सूरजपुर (223) और रायगढ़ (185) में दर्ज हैं। इन पर कार्रवाई अभी बाकी है।
धमतरी में सर्वाधिक अतिक्रमण
धमतरी वन मंडल में सबसे ज्यादा 1,512 एकड़ जंगल की जमीन पर अवैध कब्जा है। इसके बाद कवर्धा (1,284 एकड़), गरियाबंद (1,144 एकड़), पश्चिम भानुप्रतापपुर (1,141 एकड़) और दक्षिण कोंडागांव (1,079 एकड़) का नंबर आता है।
एक साल में 1,613 एकड़ जमीन मुक्त
साल 2024 में वन विभाग ने 1,613 एकड़ जमीन को कब्जामुक्त कराया। इसमें धमतरी (933 एकड़), बस्तर (290 एकड़), मुंगेली (144 एकड़), बीजापुर (139 एकड़) और कोरबा (25 एकड़) शामिल हैं। उदंती-सीता नदी अभ्यारण्य के इंदागांव रेंज में घुमरापदर गांव के पास बनी अवैध बस्ती को हटाया गया। बलरामपुर के सेमरवा गांव के नजदीक 100 एकड़ वन भूमि पर बने मकानों को बुलडोजर से हटाया गया।
वनकर्मियों पर हमला, सख्त कार्रवाई के निर्देश
गरियाबंद के हरदी जंगल में सोहागपुर बिट में अतिक्रमण हटाने गए वन कर्मियों पर ग्रामीणों ने जानलेवा हमला किया और उन्हें घंटों बंधक बनाए रखा। वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि वन भूमि को कब्जामुक्त करने के लिए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कब्जाधारियों से अपील की है कि वे सरकार का सहयोग करें और अवैध कब्जा छोड़ दें।
वन विभाग की कार्रवाई तेज
वन विभाग अब प्रशासन के साथ मिलकर अवैध कब्जों को हटाने में जुट गया है। यह अभियान जंगल और पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।