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भगवान विष्णु को मिला ये श्राप बन गया महाकुंभ की वजह, पढ़ें रोचक कहानी

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महाकुंभ का पवित्र स्नान व्यक्ति के कई कष्टों को दूर करने वाला माना जाता है। प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी से हो चुकी है और 26 फरवरी तक महाकुंभ लगेगा। महाकुंभ को लेकर यह कथा प्रचलित है कि समुद्र मंथन से निकले अमृत की बूंदें धरती पर चार स्थानों पर गिरी थीं। इन चार स्थानों पर ही आज कुंभ का आयोजन किया जाता है।कुछ पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, समुद्र मंथन का कारण भगवान विष्णु को समुद्र से मिला एक श्राप था। आज हम आपको इसी के बारे में अपने इस लेख में जानकारी देंगे।

समुद्र देव का पुत्र पहुंचा विष्णु भगवान के पास

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र देव का पुत्र शंख था। जिसे समुद्र के साथ ही पाताल और नागालोक से कर लेने की जिम्मेदारी समुद्र देव ने दी थी। एक बार उसे असुरों ने भगवान विष्णु के खिलाफ भड़काया। असुरों ने कहा कि तुम सब से कर लेते हो लेकिन विष्णु भगवान से कोई कर नहीं लेते, यह नियम के विरुद्ध है। असुर बोले कि भले ही विष्णु भगवान समुद्र से ऊपर क्षीर सागर में रहते हों लेकिन, उनका राज्य समुद्र के क्षेत्र से ज्यादा दूर नहीं है, इसलिए तुम्हें विष्णु भगवान से भी कर लेना चाहिए।

भगवान विष्णु से शंख ने की कर देने की मांग

असुरों के बहकावे में आकर शंख विष्णु भगवान के पास कर लेने पहुंच गया। विष्णु भगवान ने शंख को समझाने की कोशिश की लेकिन उसने सुना भी अनसुना कर दिया और कर मांगने की जिद्द करने लगा। कर को लेकर चल रही इस बहस के दौरान शंख ने माता लक्ष्मी को लेकर ऐसे वचन कहे कि विष्णु भगवान ने अपनी गदा से शंख वध कर दिया। दरअसल शंख ने माता लक्ष्मी को लेकर भगवान विष्णु से कहा था कि, अगर कर नहीं दे सकते तो यह सुंदर स्त्री (देवी लक्ष्मी) मुझे दे दो। जिसके बाद क्रोध में आकर विष्णु भगवान ने शंख का वध कर दिया।

समुद्र देव ने दिया श्राप

जब समुद्र देव को पता चला कि विष्णु भगवान ने उनके पुत्र का वध कर दिया है, तो वो क्षीर सागर पहुंचे। भगवान विष्णु की पूरी बात सुने बिना ही उन्होंने श्राप दे दिया कि मेरे पुत्र का वध देवी लक्ष्मी के कारण हुआ है, इसलिए वो समुद्र में समा जाएंगे। इसके बाद लक्ष्मी जी समुद्र में समा गई।

समुद्र मंथन 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए भोलेनाथ के आदेश पर भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन करवाया। इससे कई बहुमूल्य रत्न के साथ ही देवी लक्ष्मी का भी फिर से अवतरण हुआ और भगवान विष्णु ने उनसे विवाह किया।

ऐसे जुड़ा महाकुंभ से नाता

भगवान विष्णु को मिले श्राप के कारण ही समुद्र मंथन हुआ था। इसी से निकले अमृत को लेकर देवासुर संग्राम हुआ। युद्ध के दौरान अमृत कलश से छलकी बूंदें जहां गिरीं वहीं आज कुंभ का आयोजन किया जाता है। इसलिए कहीं न कहीं भगवान विष्णु को मिला श्राप भी महाकुंभ के आयोजन की एक वजह है।