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बर्बाद आतंकी ठिकानों ने उगला चौंकाने वाला राज, मिले NATO के घातक हथियार और जैश से हमास के रिश्तों का सबूत

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ई दिल्ली: आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के दो केंद्रों पर बहावलपुर स्थित मुख्यालय और पाकिस्तान के पंजाब में स्थित नरोवाल में आत्मघाती हमलावर तैयार किए जाते थे। अधिकारियों ने गुरुवार को जानकारी देते हुए कहा कि इन अड्डों के ना केवल फलस्तीनी संगठन हमास के साथ संबंध थे, बल्कि यहां अफगानिस्तान से तस्करी करके लाए गए नाटो के हथियारों का भंडारण था।

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के एक-दूसरे के विपरीत छोर पर स्थित जैश के ये दोनों केंद्र बुधवार तड़के भारतीय वायुसेना द्वारा दागी गई मिसाइलों से ध्वस्त गए। अधिकारियों के अनुसार, 15 एकड़ में फैला जैश-ए-मोहम्मद का बहावलपुर केंद्र इसके प्रमुख अब्दुल रऊफ असगर द्वारा चलाया जाता रहा है। इस इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर और उसके परिवार के अन्य सदस्यों के आवास हैं।

मसूद अजहर के 14 परिजन पहुंचे जहन्नुम

मसूद अजहर ने भारतीय वायुसेना की ओर से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत किए गए हमलों के बाद स्वीकार किया कि बहावलपुर स्थित उसके संगठन के मुख्यालय पर भारत के मिसाइल हमले में उसके परिवार के 10 सदस्य और चार करीबी सहयोगी मारे गए। अजहर के हवाले से जारी एक बयान में कहा गया है कि बहावलपुर में जामिया मस्जिद सुभान अल्लाह पर हमले में मारे गए लोगों में जैश प्रमुख की बड़ी बहन और उसका पति, एक भतीजा और उसकी पत्नी, एक और भतीजी और उसके बाकी परिवार के पांच बच्चे शामिल हैं।

अफगानिस्तान से लूटे हुए हथियार मिले

अधिकारियों ने कहा कि बहावलपुर केंद्र अफगानिस्तान में उत्तर अटलांटिक संधि (नाटो) के सैनिकों द्वारा छोड़े गए हथियारों और गोला-बारूद को जमा करने के लिए कुख्यात है। उन्होंने कहा कि बहावलपुर में अक्सर जैश के वे कमांडर आते जाते रहते हैं जो अफगानिस्तान में लड़ रहे थे। उन्होंने कहा कि असगर खैबर पख्तूनख्वा में सक्रिय अपराधियों के एक गिरोह के माध्यम से एम 4 सिरीज की राइफलों सहित अन्य हथियारों की खेप की खरीद करने और इनकी तस्करी करने में शामिल है। खैबर पख्तूनख्वा को पहले उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत (एनडब्ल्यूएफपी) के रूप में जाना जाता था।

जैश के बर्बाद अड्डों से मिले घातक हथियार

इन हथियारों और गोला-बारूद में M-4 सिरीज की राइफल के अलावा स्नाइपर राइफलें, कवच-भेदी गोलियां, नाइट विजन डिवाइस (एनवीडी) और एनवीडी से सुसज्जित राइफलें शामिल थीं। नरोवाल स्थित केंद्र के बारे में अधिकारियों ने कहा कि इसका इस्तेमाल फलस्तीनी हमास समूह से युद्धक रणनीति सीखने के लिए किया जाता रहा है। हमास की संलिप्तता 2014 में तब शुरू हुई जब जैश के एक आतंकवादी मोहम्मद अदनान अली, जिसका कोड नाम ‘डॉक्टर’ था, ने दूसरे समूह खालिस्तान टाइगर फोर्स के सदस्य रमनदीप सिंह उर्फ ​​गोल्डी को थाईलैंड में ‘पैराग्लाइडर’ का प्रशिक्षण दिया था।

POK आए थे हमास के आतंकी

अधिकारियों ने कहा कि घुसपैठ के लिए सुरंगों के इस्तेमाल और ‘पैराग्लाइडिंग’ की रणनीति पश्चिम एशिया में हमास द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली से प्रेरित लगती है। उन्होंने आगे कहा कि जैश के आतंकवादियों और हमास के नेताओं के बीच नियमित बातचीत के बारे में कई गोपनीय जानकारी मिली हैं। इस साल फरवरी में हमास के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के रावलकोट में ‘कश्मीर एकजुटता दिवस’ पर एक रैली को संबोधित किया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के शीर्ष आतंकवादी शामिल हुए।