अमेरिका द्वारा चीन के आयात पर शुल्क वृद्धि को 90 दिन तक रोकने की घोषणा और व्यापार वार्ता में प्रगति के संकेतों के बाद, सोमवार को दिल्ली सर्राफा बाजार में सोने की कीमतों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली।99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 3,400 रुपये टूटकर 96,550 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया, जबकि 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 96,100 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया।
10 महीने की सबसे बड़ी गिरावट
यह गिरावट पिछले 10 महीनों की सबसे बड़ी है। इससे पहले 23 जुलाई 2024 को सोने में 3,350 रुपये की गिरावट दर्ज की गई थी। शनिवार को सोने की कीमतें 99,950 और 99,500 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थीं।
चांदी भी 200 रुपये टूटी
सोने के साथ-साथ चांदी की कीमतों में भी गिरावट आई। चांदी 200 रुपये गिरकर 99,700 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई, जो शनिवार को 99,900 रुपये पर बंद हुई थी।
व्यापार तनाव में राहत से निवेशकों का मूड बदला
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के उपाध्यक्ष (कॉमोडिटी) राहुल कलंत्री ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार वार्ता में सकारात्मक संकेत और भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव में राहत के चलते निवेशकों ने सुरक्षित निवेश माने जाने वाले सोने से मुनाफावसूली की।
अमेरिका-चीन टैरिफ रेट में कटौती
जिनेवा में हुई व्यापार वार्ता के बाद अमेरिका ने चीन से आने वाले उत्पादों पर टैरिफ रेट 145% से घटाकर 30% करने पर सहमति जताई, जबकि चीन ने भी 90 दिनों तक अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क 10% करने की बात मानी है।
डॉलर इंडेक्स में मजबूती
इस दौरान डॉलर इंडेक्स 1.42% बढ़कर 101.76 पर पहुंच गया, जिससे वैश्विक बाजारों में सोने की कीमतों पर दबाव पड़ा।
भू-राजनीतिक तनाव में राहत
एलकेपी सिक्योरिटीज के जतिन त्रिवेदी के मुताबिक रूस-यूक्रेन युद्ध में संघर्षविराम की उम्मीद और भारत-पाक के बीच सैन्य तनाव में कमी ने भी सोने में गिरावट को बढ़ावा दिया।
वैश्विक बाजारों में भी भारी गिरावट
अंतरराष्ट्रीय बाजार में हाजिर सोना 3% गिरकर 3,218.70 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया, जबकि चांदी 1.19% गिरकर 32.33 डॉलर प्रति औंस रही।
शेयर बाजारों की तेजी ने भी सोने को किया प्रभावित
वैश्विक और घरेलू शेयर बाजारों की मजबूती के चलते निवेशकों का ध्यान अब उच्च रिटर्न वाले विकल्पों की ओर बढ़ रहा है, जिससे सोने की मांग कम हुई है।
फेडरल रिजर्व पर अब सबकी नजर
जेएम फाइनेंशियल के प्रणव मेर ने कहा कि इस सप्ताह अमेरिकी खुदरा बिक्री, उपभोक्ता भावना और महंगाई दर के आंकड़ों के साथ-साथ फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पावेल के संबोधन पर निवेशकों की नजर बनी रहेगी।