सनातन धर्म एकादशी के व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. यह व्रत हर माह शुक्ल और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है. वहीं जेष्ठ माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी के व्रत किया जाता है. कहते हैं इस व्रत को करने से साल की 24 एकादशी व्रत के बराबर फल की प्राप्ति होती है. कहते है निर्जला एकादशी का व्रत सबसे पहले महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने किया था, जिसके चलते इसे भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है. यह व्रत अन्य एकादशी व्रत में सबसे कठिन माना जाता है, क्योंकि इसमें श्रद्धालु लोग जेष्ठ माह तपती गर्मी में भोजन ही नहीं बल्कि पानी भी नहीं पीते हैं. इस व्रत में 24 घंटे के लिए बिना अन्न जल के रहना होता है. मान्यता है जो लोग यह व्रत करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं अगर आप भी पहली बार इस चमत्कारी व्रत को करने जा रहे हैं, तो व्रत से जुड़े सभी नियमों का जानना बहुत जरूरी है.
निर्जला एकादशी कब है:- निर्जला एकादशी यानी जेष्ठ माह की एकादशी तिथि की शुरुआत 6 जून को देर रात 2 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी. वहीं तिथि का समापन अगले दिन 7 जून को तड़के सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, 6 जून को रखा जाएगा.
पहली बार निर्जला एकादशी व्रत करने के नियम:- पहली बार निर्जला एकादशी का व्रत रखने वालों को व्रत के दौरान जल ग्रहण नहीं करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि यह व्रत-नियम के विरुद्ध है. निर्जला एकादशी के व्रत का पारण करने के बाद ही जल ग्रहण करने का विधान है.
धारण करें पीले वस्त्र:- निर्जला एकादशी व्रत के दिन भगवान की पूजा पीले रंग के वस्त्र पहनकर करना चाहिए. इस दिन काले या भूरे रंग के कपड़ों का इस्तेमाल ना करें.
कैसे लगाएं भोग:- निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के दौरान सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाना चाहिए. साथी ही भोग में तुलसी के पत्ते जरूर शामिल करें. मान्यता है कि तुलसी के बिना श्री हरि भोग स्वीकार नहीं करते हैं.
जरूर करें व्रत कथा का पाठ:- निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए. अगर व्रत कथा का पाठ नहीं कर सकते तो कथा अवश्य सुनें.
न करें ये काम:- निर्जला एकादशी का व्रत रखने वालों को एकादशी के दिन तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए और न ही इसमें जल चढ़ाना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन मां तुलसी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. साथ ही निर्जला एकादशी व्रत के दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए. इसे व्रत नियम के खिलाफ माना गया है. इसके अलावा इस दिन दूसरों के प्रति मन में बुरे विचार ना लाएं और न ही बुरे कर्म करें.